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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चान्दपोल जोधपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित जोधपुर में एकमात्र Legal केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चान्दपोल जोधपुर के अतिरिक्त जोधपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Chandpole Jodhpur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Chandpole Jodhpur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Rajasthan. We do not have any other branch or Centre in Jodhpur. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.

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पाप का ऋण

पाप का ऋण

मनुष्य जो पाप करता है वह उसके सिर पर एक ऋण के समान चढारहता है। यदि वह उस पाप को जानकर उसके लिए अपने आप ही पश्‍चाताप या किसी और उचित रीति से श्रद्धापूर्वक उसका प्रायश्‍चित कर लेता है, तो बस वह पाप इस जन्म का यहीं समाप्त हो जाता है, अगले जन्म में उसका कुछ भी सम्बन्ध नहीं रहता। परन्तु यदि सब कुछ जानने-बूझने पर अपने आप ही प्रायश्‍चित कर लिया जाए या प्रभु के बार-बार चेतावनी देने पर ही जो नाना प्रकार के दुखों और कष्टों द्वारा मिलती रहती हैं, तुम सम्भल गए और तुमने अपने उस पाप को याद करके सच्चे दिल से उस पर पश्‍चाताप कर उसका प्रायश्‍चित कर लिया तो भी वह समाप्त हो गया और आगे उसका कुछ सम्बन्ध नहीं रहा। परन्तु यदि इन दोनों स्थितियों में भी तुम्हारे कान पर जूं तक न रेंगी, तो वह छोटा सा बीज वृक्ष का रूप धारण करके दिनों दिन बलवान तथा दृढ होता रहेगा और अगले जन्म में अवश्य अपने फल तुम्हारे सामने भेंट करेगा।•

The sins that a man commits remain on his head like a debt. If he, after knowing about his sins, repents for it himself or atones for it with devotion in some other suitable manner, then that sin ends in this birth itself, it has nothing to do with the next birth. But if after knowing everything, you atone for it yourself or after repeated warnings from the Lord which are received in the form of various kinds of sorrows and sufferings, you come to your senses and remember your sin and repent for it with a true heart and atone for it, then also it is over and has nothing to do with it in the future. But if you do not pay heed to both these situations, then that small seed will take the form of a tree and will keep growing stronger and stronger day by day and will certainly present its fruits to you in the next birth.

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  • हर मनुष्य की समस्या

    हर मनुष्य की समस्या यह लगभग हर मनुष्य की समस्या है कि उसे लगता है, दूसरा उसे नहीं समझता। हिन्दुस्तान के हजारों परिवारों में पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ रिश्तों में फंसे नजर आते हैं। उनका दम घुटता है। वे साथ रहने में नरक महसूस करते हैं और अलग होने का साहस नहीं जुटा पाते। हर व्यक्ति के भीतर महान बनने या...

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